शैलपुत्री का स्वरूप पर्वतों की पुत्री है। नवरात्रि की पहली रात इनकी पूजा की जाती है। इन्हें हल्दी और चावल से पूजा जाता है।
दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। इनकी आराधना ज्ञान और तप की देवी के रूप में होती है। भक्त फल-फूल और दूध का भोग अर्पित करते हैं।
तीसरे दिन चंद्रघंटा की पूजा होती है। यह साहस और शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आरती से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
चौथे दिन कूष्मांडा की पूजा होती है। ये सृष्टि की सृजना करती हैं। भक्त फल और मिठाई अर्पित करते हैं।
पाँचवे दिन स्कंद माता की पूजा की जाती है। इनके साथ स्कंद भगवान भी होते हैं। भक्त उनके प्रति श्रद्धा और प्रेम व्यक्त करते हैं
छठे दिन कात्यायनी की पूजा होती है। ये दुर्गा का शक्ति स्वरूप हैं। इनकी पूजा से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
सातवें दिन कालरात्रि की पूजा होती है। ये अंधकार को समाप्त करती हैं। भक्त इनसे भय और बाधाओं से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।
आठवें दिन महागौरी की पूजा होती है। ये शांति और समृद्धि की देवी हैं। भक्त इनकी कृपा से अपने जीवन में सुख-शांति की कामना करते हैं।
नवमी के दिन सिद्धिदात्री की पूजा होती है। ये सभी सिद्धियों और ज्ञान की देवी हैं। इस दिन विशेष रूप से कन्याओं का पूजन किया जाता है।
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